आजकल टेक्नोलॉजी हर क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ रही है, और अब यह ट्रांसपोर्टेशन के क्षेत्र में भी बदलाव ला रही है। GNSS Toll System (Global Navigation Satellite System) एक नई टेक्नोलॉजी है, जो टोल कलेक्शन के तरीके को पूरी तरह बदलने वाली है। FasTag के मुकाबले यह एक एडवांस सिस्टम है, जिसमें टोल प्लाजा पर रुकने की ज़रूरत नहीं होगी, बल्कि आपकी गाड़ी के मूवमेंट के हिसाब से ऑटोमैटिक टोल डिडक्शन हो जाएगा।
अब सवाल यह उठता है कि GNSS टोल सिस्टम क्या है? यह कैसे काम करता है? और क्या इसके आने से FasTag का इस्तेमाल बंद हो जाएगा? इस आर्टिकल में हम इस नई टेक्नोलॉजी से जुड़ी हर जानकारी को आसान भाषा में समझेंगे।
GNSS टोल सिस्टम क्या है? | What Is GNSS Toll System?
GNSS Toll System एक GPS-based टोल कलेक्शन टेक्नोलॉजी है, जो सैटेलाइट के ज़रिए गाड़ियों की लोकेशन ट्रैक करती है और तय की गई दूरी के अनुसार टोल चार्ज करती है।
इस सिस्टम को सितंबर 2024 में भारत में लॉन्च किया गया और फिलहाल कुछ जगहों पर ट्रायल चल रहा है। सरकार की योजना है कि इसे जल्द ही पूरे भारत में लागू किया जाए। यह टेक्नोलॉजी पहले से ही कई देशों में इस्तेमाल हो रही है, जैसे कि अमेरिका, चीन, रूस और यूरोप।
GNSS टोल सिस्टम कैसे काम करता है? | How GNSS Toll System Works?
यह सिस्टम सैटेलाइट ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी पर काम करता है और इसकी पूरी प्रक्रिया ऑटोमैटिक होती है। आइए इसे स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं:
1️⃣ On-Board Unit (OBU) का इस्तेमाल:
हर गाड़ी में एक OBU (On-Board Unit) नामक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाया जाएगा। यह डिवाइस सैटेलाइट से कनेक्ट होकर गाड़ी की लोकेशन को ट्रैक करेगा।
2️⃣ GPS Signal Tracking:
जब कोई गाड़ी हाईवे पर चलेगी, तो GPS सिस्टम उसकी लोकेशन को लगातार ट्रैक करेगा और उसके द्वारा तय की गई दूरी को मापेगा।
3️⃣ Automatic Toll Deduction:
जैसे ही गाड़ी किसी टोल प्लाजा या टोल जोन से गुजरेगी, सिस्टम अपने आप गाड़ी के मालिक के बैंक अकाउंट या डिजिटल वॉलेट से टोल टैक्स काट लेगा।
4️⃣ SMS और Notification:
टोल कटने के बाद वाहन मालिक को SMS या App Notification के ज़रिए जानकारी मिलेगी कि कितना टोल काटा गया है।
5️⃣ GIS Software की मदद:
इस सिस्टम में GIS (Geographic Information System) सॉफ्टवेयर का भी इस्तेमाल किया जाता है, जो गाड़ियों की रीयल-टाइम लोकेशन ट्रैक करता है और टोल की सही गणना करता है।
GNSS टोल सिस्टम के फायदे | Advantages of GNSS Toll System
✅ ट्रैफिक जाम खत्म होगा – टोल प्लाजा पर रुकने की ज़रूरत नहीं होगी, जिससे लंबी कतारों और जाम से छुटकारा मिलेगा।
✅ टाइम और फ्यूल की बचत – गाड़ियों को रुकना नहीं पड़ेगा, जिससे समय और ईंधन दोनों की बचत होगी।
✅ कैशलेस पेमेंट – डिजिटल भुगतान होने से कैश रखने की जरूरत नहीं होगी।
✅ Pay-As-You-Drive मॉडल – जितनी दूरी तय की जाएगी, उसी के अनुसार टोल चार्ज किया जाएगा।
✅ 20 Km तक फ्री टोल – अगर किसी को 20 किलोमीटर तक ही सफर करना है, तो उसे कोई टोल नहीं देना होगा।
GNSS टोल सिस्टम के नुकसान | Disadvantages of GNSS Toll System
❌ Privacy Concern – यह सिस्टम GPS-tracking पर आधारित है, जिससे लोगों की गोपनीयता (Privacy) को लेकर सवाल उठ सकते हैं।
❌ सिग्नल से जुड़ी समस्याएं – खराब मौसम, कोहरा या ऊंची इमारतों की वजह से GPS सिग्नल कमजोर हो सकता है।
❌ तकनीकी खराबी का खतरा – सैटेलाइट सिस्टम में कोई तकनीकी खराबी आने पर गलत लोकेशन डिटेक्शन हो सकता है।
क्या GNSS टोल सिस्टम से FasTag खत्म हो जाएगा? | Will GNSS Toll System Replace FasTag?
नहीं! FasTag अभी खत्म नहीं होगा। यह नई टेक्नोलॉजी फिलहाल Hybrid Mode में काम करेगी, यानी कुछ समय तक FasTag और GNSS दोनों साथ में चलेंगे।
➡️ GNSS सिस्टम पूरी तरह लागू होने में अभी कुछ साल लग सकते हैं।
➡️ FasTag का विस्तृत नेटवर्क पहले से मौजूद है, और इसे एकदम से हटाना मुश्किल होगा।
➡️ नई GNSS टेक्नोलॉजी के लिए सरकार को नई लेन (GNSS Toll Lanes) बनानी होंगी, जो अभी पूरी तरह तैयार नहीं हैं।
तो फिलहाल FasTag और GNSS साथ-साथ काम करेंगे, और धीरे-धीरे FasTag का इस्तेमाल कम हो सकता है।
GNSS टोल सिस्टम से जुड़े FAQs | Frequently Asked Questions
🟢 Q1: GNSS टोल सिस्टम में कितने किलोमीटर तक फ्री टोल मिलेगा?
✔️ आपको 20 किलोमीटर तक टोल फ्री मिलेगा, अगर आपने 24 घंटे में सिर्फ इतनी दूरी तय की है।
🟢 Q2: GNSS टोल सिस्टम किन देशों में पहले से लागू है?
✔️ अमेरिका, रूस, चीन और यूरोप में पहले से यह सिस्टम मौजूद है।
🟢 Q3: GNSS कैसे काम करता है?
✔️ सैटेलाइट ट्रैकिंग + GPS + GIS सॉफ़्टवेयर के जरिए टोल ऑटोमैटिक कटता है।
🟢 Q4: FasTag और GNSS में क्या फर्क है?
✔️ FasTag में RFID चिप होती है, जबकि GNSS GPS बेस्ड सिस्टम है। GNSS ज्यादा स्मार्ट और ऑटोमैटिक है।
निष्कर्ष | Conclusion
GNSS Toll System भारत में टोल कलेक्शन सिस्टम को पूरी तरह से डिजिटली और ऑटोमैटिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह सिस्टम फास्ट, ट्रांसपेरेंट और ज्यादा एडवांस है। हालांकि, इसे पूरी तरह लागू करने में अभी थोड़ा समय लगेगा और FasTag अभी खत्म नहीं होगा।
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